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19 Best Shayari of Dr Rahat Indori

Dr. Rahat Indori was a great poet and lyricist. He was also known as 'Hindustan ki Aawaz'. he was a painter turned professor who later followed his passion and emerged as a legendary poet. He has also written songs for the Hindi Film Industry known as Bollywood. He was a Pedagonist of Urdu literature in Indore University. After listening to his poetry, you couldn't control yourself from saying 'Waah'. He was the epitome of Urdu poetry.


On 11 August 2020, he left us with all the treasure of his work. His fans were in shock and may his soul rest in peace. This is a tribute to Dr. Rahat Indori's poetic journey. These are the 20 best shayari of Dr. Rahat Indori which are given below.

1.

शाखों से टूट जाए वो पत्ते नहीं हैं हम

आंधी से कोई कह दे की औकात में रहें

2.

नए किरदार आते जा रहे हैं

मगर नाटक पुराना चल रहा है


3.

सूरज, सितारे, चाँद मेरे साथ में रहें

जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहें

4.

लोग हर मोड़ पे रुक-रुक के संभलते क्यों हैं

इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यों हैं

5.

एक ही नदी के हैं ये दो किनारे दोस्तो,

दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो!

6.

अब ना मैं वो हूँ,

ना बाकी हैं ज़माने मेरे

फिर भी मशहूर हैं,

शहरों में फ़साने मेरे

7.

लम्हा लम्हा जंग है कुछ देर मोहलत चाहिए

साहिबों अच्छी गज़ल कहने को फुरसत चाहिए

8.

कभी अकेले में  मिल कर झंझोड़ दूंगा उसे

जहाँ जहाँ से वो टूटा है जोड़ दूंगा उसे

9.

उसकी याद आई है सांसों ज़रा धीरे चलो ,

धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है।

10.

दो गज सही ये मेरी मिलकियत तो हैं

ऐ मौत तूने मुझको ज़मीदार कर दिया


11.

उम्र भर चलते रहे आँखों पे पट्टी बाँध कर

ज़िंदग़ी को ढूँढने में ज़िंदग़ी बर्बाद की

12.

इक मुलाक़ात का जादू कि उतरता ही नहीं

तिरी ख़ुशबू मिरी चादर से नहीं जाती है

13.

सभी का खून है शामिल यहा की मिट्टी मे

किसी के बाप का हिन्दुस्तान थोड़ी है

14.

हर एक हर्फ़ का अंदाज़ बदल रखा हैं

आज से हमने तेरा नाम ग़ज़ल रखा हैं

15.

जो दे रहे हैं फल तुम्हे पके पकाए हुए

वोह पेड़ मिले हैं तुम्हे लगे लगाये हुए

16.

जवानियों में जवानी को धूल करते हैं

जो लोग भूल नहीं करते, भूल करते हैं

17.

न हमसफ़र न किसी हमनशीं से निकलेगा

हमारे पांव का कांटा हमीं से निकलेगा

18.

तूफानों से आँख मिलाओ

सैलाबों पर वार करो

मल्लाहों का चक्कर छोड़ो

तैर के दरिया पार करो

19.

फिर उस गली की तरफ ख़ुद ब ख़ुद उठे हैं कदम

जहाँ से रोज़ नये ज़ख़्म खा के आते हैं


By Amisha Rajput

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